आज हम बात करेंगे आखिर क्यों छत्रपति संभाजी महाराज का इतिहास गलत लिखा गया था?
वैसे देखा जाए तो छत्रपति संभाजी महाराज की बदनामी की शुरुवात बालाजी अवजी चिटनीस के वंशज मल्हारराव रामराव चिटनीस ने की थी, वो भी संभाजी महाराज के 122 साल बाद
पहला कारण ये है कि उनके वंशज बालाजी अवजी चिटनीस को संभाजी महाराज ने मृत्युदंड दिया था
जैसे कि आजकल किसीको बदनाम करने के लिए मीडिया और सोशल मीडिया है वैसे ही उन दिनों बखर हुआ करते थे, जिसे जो लगता था वो वही बखर में लिखता था और अपने अगले पीढ़ी को इसकी हिफाज़त करने को कहता था
इतिहास सच्चा है या नही ये बात तो उस वक्त के कुछ खत और समकालीन बखरो से पता चलता है
8-9 साल तक संभाजी महाराज ने मुघलो के साथ 2-2 हाथ किये, एक भी जंग, एक भी किला नही हारे. उस वक्त दक्खन में बोहोत ही भयानक सूखा पड़ा था, उसका सामना संभाजी महाराज ने कैसे किया, अंग्रेजो को , पोर्तुगीजोको संभाजी महाराज ने कैसे हराया ? इनमेसे कोनसी भी बात मल्हार अवजी ने उनकी बखर में नही लिखी
इन सब चीजों के सबूत तो समकालीन खतो में है, फिर क्यों इनका जिक्र 122 साल बाद के जूठी बखर में हुआ नही?
अगर संभाजी महाराज शराबी होते, तो क्यों औरंगजेब ने उसकी जिंदगी के इतने साल लग दिए सिर्फ संभाजी महाराज को पकड़ने के लिए?
छत्रपति संभाजी महाराज के कड़े रवैये से और कठोर शासन की वजह से उनके बोहोत दुश्मन हुए, पर अगर वो ऐसा नही करते आज अपना इतिहास कुछ और होता
कोई उन्हें कितनाही बुरा क्यों न समजले, पर इससे सच कम तो नही हो सकता, आँखे बंद कर लेने से सिर्फ हमे अंधेरा दिखाई देता है, इससे सूरज की रोशनी और काबिलियत कम नही होती
छत्रपति संभाजी महाराज ने शिवजी महाराज के बाद पोर्तुगीजोका 35 प्रस्तिषद राज्य पर कब्जा किया , कर्नाटक के राज्य को दुगना बढ़ाया और स्वराज्य की सेना भी दुगनी बढ़ी
संभाजी महाराज को बदनाम करने वाला जुटा इतिहास 1690 के बाद फैलना शुरू हुआ , क्योंकि उनके जीते जी कुछ बुरा करने हिम्मत किसिम नही थी
औरंगजेब ने कभी सपने में भी नही सोचा था की संभाजी के बाद बर्बाद मुग़ल साम्राज्य होने वाला था
संभाजी महाराज ज्ञानी पंडित थे, वो एक अच्छे योद्दा थे, बुद्धिमान थे और चलख भी थे, इतनी सभी खुबिया शायद ही किसी मे होगी?
छत्रपति संभाजी महाराज के बारेमे गलत जानकारी फैलाकर हम मल्हार अवजी जैसे लोगों की सोच को बढ़ावा दे रहे है
संभाजी महाराज के बारेमे गलत जानकारी देने वाले समाज को हमे छत्रपति संभाजी एक चिकित्सा ये बुक देनी चाहिए, ये बुक केवल 180 रुपये की है
हमे जरूरत है हमारे पूर्वजों की कुर्बानियो को समझनेकी और उनका इतिहास ज्यादा से ज्यादस लोगोंतक पोहचाने की
किसीभी पुस्तक को ऑनलाइन पढ़ने में और खरीद कर पढ़ने में बोहोत फर्क है. आप जब ऑनलाइन इस बुक को पढ़ेंगे तो शायद ही आप इस बुक को गंभीरता से समझ पाएंगे.