अहिल्याबाई होलकर
मल्हारपुत्र खण्डेराव की शादी अहिल्यादेवी से हुई, कुंभेरी ये युद्ध मे खण्डेराव की मौत हुई और अहिल्यादेवी ने सती जाने की तैयारी शुरू की
अहिल्याबाई होलकर के पितासमान ससुर मल्हारराव ने उन्हें सती जाने से रोक लिया। मल्हारराव के जाने के बाद अहिल्याबाई अकेली पड़ गयी, उनका बेटा मालेराव में इतनी चमक नही थी , उन्होंने मालेराव को सुधारने का बोहोत प्रयास किया पर वो असफल रही।
अहिल्याबाई को एक बेटी थी उनका नाम था मुक्ताबाई, उन्होंने अपनी बेटी का स्वयंवर करना चाहा और कहा कि ” जो कोई मेरे राज्य के चोर और डाकुओ का नाश करेगा उसकी शादी में अपनी बेटी मुक्ताबाई से करूँगी”।
जाती धरम, उच नीच इन सब चीजों को दूर रखकर अहिल्याबाई होलकर ने अपने सुविचारों का परिचय समाज को दिया। यशवंतराव फणसे ने अहिल्याबाई की इस चुनौती को स्वीकार कर के चोर डाकुओ को मारके राज्य को सुरक्षित किया और अहिल्याबाई ने उनकी शादी भी मुक्ताबाई से कर दी। पर दुर्भाग्यपूर्ण मुक्ताबाई का कम उम्र मे ही किसी बीमारी के कारण मृत्यु हो गयी और तीन साल बाद यशवंतराव भी गुजर गए। अहिल्याबाई ने जिंदगी में ऐसे बोहोत दुखो का सामना किया।
अहिल्याबाई के बारेमे नाना फडणवीस कहते है ” पुरषार्थ और दूरदृष्टि के मामले में अहिल्याबाई जैसा कोई भी नही है”।
अपने बेटे मालेराव की निपुत्रिक मृत्यु के बाद होलक़र घराने के कारभारी गंगाधर यशवंत चंद्रचूड़ ने किसी बेटे को गोद लेने की बात छेड़ दी, ऐसा करके अहिल्याबाई को राघोबादादा की मदत से राजकारण से बाहर करने का इरादा चंद्रचूड़ का था। इस कमजोर वक्त को देख राघोबादादा ने अपनी फौज तैयात कर के अहिल्याबाई के राज्य पर आक्रमण करना चाहा, ये बात जब अहिल्याबाई को समझी टैब उन्होंने बीटा गोद लेने की बात को मना कर दिया और सब सत्ता अपने हाथों ले ली।
”में एक अबला हु, असहाय हु , इस भ्रम में कोई ना रहे , में जब भाला लीये रणांगण में खड़ी रहू तो सब की हार निश्चित है” ऐसा आवाहन उन्होंने सब सरदारों को किया।
तुकोजीराव होलकर ने अपनी चाची अहिल्याबाई का साथ दिया और एक विशाल सेना खड़ी की। अहिल्या बाई ने भी महिलाओं की एक साहसी और अटूट फौज तैयार की।
राघोबा दादा को अहिल्याबाई का खलीता मिला उसमे लिखा था “में किस प्रकार की अबला हु इस बात का परिचय तो आपको युद्ध मे हो जायेगा, पर जरा ये सोचिये की अगर में हार जाऊ तो मुझपर कोई नही हँसेगा, अगर आप हार गए तो आप तो किसीको मुह दिखाने लायक भी नही रहोगे”। राघोबा दादा ने अपने सैनिकों को लौट आने को कहा।
अहिल्याबाई ने बोहोत से मंदिर खड़े किए अपने राज्य में महिलाओ को सुरक्षित किया। अहिल्याबाई होल्कर के बारेमे मुम्बई के गवर्नर ने लिखा कि अहिल्याबाई का चरीत्र काफी निर्मल था, और ईश्वरभक्ति में तोह शायद ही कोई उनकी बराबरी कर सके, इतनी श्रद्धा से अगर कोई काम करे तो अपने राज्य का कितना फायदा होता है वो अहिल्याबाई को देख के समझ आता है।
जोआना बेली नामक ब्रिटिश कवि १८४९ साल को अहिल्याबाई के ऊपर ये कविता लिखी।
“For thirty years her reign of peace,
The land in blessing did increase;
And ahe was blessed by every tongue,
By stern and gentle, old and young.
Yea, even the children at their mothers feet
Are taught much homely rhyming to repeat
In latter days from Brahma came,
To rule our land, a Nobel Dame,
Kind was her heart, and tight her frame,
And Ahlya was her honoured name.”
ऐसेही कुछ और बाते पढ़ने के लिए आप नीचे दिए गए लिंक पर जाके अहिल्याबाई के जीवन पर लिखे गये किताबे पढ़ सकते है।
हमे गर्व होना चाहिये कि अहिल्याबाई होल्कर जैसी षासक हमारे भारतवर्ष में हुई, दुनियाभर के लोग हमारे इतिहास के शासकों का गौरव करते है तो क्युना हम भी इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करके अपने इतिहास को तेजी से फैलाये।