सबसे पहले जानते है कि आखिर पेशवा का मतलब है क्या? पेशवा ये word पर्शियन है, छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्यकाल मे उन्होंने शब्दकोश बनाया था जिसमे पेशवा को पंतप्रधान कहा गया है.
छत्रपति की अनुपस्थिति में पेशवा को कुछ वक्त के लिए राज्य कारभार संभालना पड़ता था.
छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के बाद पहले पेशवा मोरोपंत पिंगले थे जो एक देशस्त ब्राम्हण थे
देशस्त ब्राम्हण ब्राम्हणो की वो subcast है जो महाराष्ट्र और कर्नाटक के रहने वाले थे. महान संत जैसे निवृत्तिनाथ, न्यानेश्वर, सोपान, मुक्ताबाई,एकनाथ और अन्नाजी दत्तो,दादोजी कोंडदेव, तात्या टोपे, प्रमोद महाजन ऐसे बोहोतसे मशहूर लोग देशस्त ब्राम्हण है
पेशवा मोरोपंत पिंगले ने छत्रपति शिवाजी महाराज की स्वराज्य को सक्षम करने में मदद की, ऐसा कहा जाता है कि प्रतापगढ़ को बनाने में इनका बोहोत ज्यादा योगदान था
इनके बेटे नीलकंठ मोरेश्वर पिंगले ने इनके बाद स्वराज्य का पेशवा पद संभाला. इन्होंने छत्रपति संभाजी महाराज के साथ आंखरी सास ली थी
रामचंद्र पंत अमात्य एक ऐसे आदमी थे जिन्होंने 5 छत्रपति की सेवा की. छत्रपति शिवाजी महाराज के अष्ठप्रधान मंडल मेसे वो सबसे जवान प्रधान थे, संभाजी महाराज के दरबार मे भी वो अमात्य थे, राजाराम महाराज को बचाने में उन्होंने जी जान लगा दी ,महारानी ताराबाई और उनके बेटे दूसरे संभाजी महाराज को भी रामचंद्र पंत अमात्य ने सहायता की
बहिरजी पिंगले मोरोपंत पिंगले के छोटे बेटे थे, 1711 में जब कान्होजी अंग्रे ने जब सतारा पे आक्रमण किया था तब बहिरजी को कैद किया था. उस वक्त खुद छत्रपति शाहू महाराज ने बालाजी विश्वनाथ को बहिरजी पिंगले को छुड़वाने का आदेश दिया था. आज भी इनके वंशज पुणे के कोथरुड में रहते है
1711 से 1713 तक बालकृष्ण वासुदेव ने मराठा साम्राज्य को संवारने में अपना योगदान दिया
अब से बालाजी विश्वनाथ ने पेशवाई संभाली. एक के बाद एक प्रान्त को हासिल करते गए और मराठा साम्राज्य को पूरे भारत भर तक बढ़ाने की शुरुवात की.
छत्रपति संभाजी महाराज को छत्रपति बनाने में पेशवा बालाजी विश्वनाथ का बड़ा योगदान था
इनके बाद सबसे जाबाज और होनहार बाजीराव पेशवा बने, जो बालाजी विश्वनाथ के बड़े बेटे थे. बाजीराव पेषवा के छोटे भाई चिमाजी आप्पा भी बोहोत पराक्रमी थे, हमने चिमाजी अप्पा पे भी एक वीडियो बनाया है, लिंक डिस्क्रिप्शन में है
चिमाजी अप्पा के बेटे सदाशिव भाऊ बोहोत अच्छे योद्धा थे, उन्हीने पानीपत में अपनी बहादुरी से मराठाओ का नाम रोशन किया था. खुद अहमदशाह अब्दाली ने भी सदाशिव भाऊ की तारीफ की थी
बाजीराव पेशवा
बाजिराओ पेषवा इतने महान योद्धा थे कि उन्होंने उनकी जिंदगी में एक भी जंग नहीं हारी
बाजिराओ पेशवा को 4 बेटे थे,बालाजी बाजिराओ उर्फ नानासाहेब पेशवे, रघुनाथ राव, समशेर बहादुर और जनार्दन राव. समशेर बहादुर बाजीराव पेशवा की दूसरी पत्नी मस्तानी के बेटे थे और जनार्दन राव कम उम्र मेही चल बसे
सबसे बड़े बेटे बालाजी बाजी राव ने उनके बाद पेशवाई संभाली ,जिन्हें नानासाहेब पेशवे कहा जाता है
इनके राज्य में होलकर सिंधिया जैसे घरानों ने राज्य पे मजबूत पकड़ बनाई. इनकेहि कार्यकाल में मराठों को पानीपत में हार का सामना करना पड़ा
पानीपत में मिली हार और अपने बड़े बेटे विश्वास राव की मौत का दुख नानासाहेब पेशवा सह नही पाए और उनकी मृत्यु हो गयी
उनको 3 बेटे थे सबसे बड़े बेटे विश्वासराव की मौत पानीपत में हुई. दूसरे बेटे माधवराव और उनसे छोटे बेटे नारायण राव थे
उनके बाद उनके दूसरे बेटे माधवराव को महज 16 साल की उम्र में पेषवा बनाया गया
नानासाहेब के छोटे भाई रघुनाथ राव की पेषवा बनने की इच्छा थी, इसीलिए रघुनाथ राव और पेषवा माधवराव के बीच बोहोतसे मतभेद होते रहते थे. रघुनाथ राव ने बोहोत बार माधवराव को जान से मारने की कोशिश की पर माधवराव बोहोत होशियार थे
माधवराव अच्छे शाशक थे ,उन्हीने पानीपत में जान गवा बैठे सैनिको के घर वालो को आर्थिक सहायता की थी, इसी वजह से माधवराव को जनता का बोहोत प्यार मिला
कम उम्र मेही माधव राव किसी बीमारी की वजह से चल बसे
माधवराव के बाद उनके छोटे भाई नारायण राव को नाना फडणवीस ने पेशवा बनाया, रघुनाथ राव ने उनका खून करा दिया और खुद पेशवा बन गए
नाना फडणवीस को ये बात पता चली तभी उन्होंने रघुनाथ राव को पेषवा पद से हटाया और छोटे दूसरे माधवराव जो नारायण राव के बेटे थे उनको पेषवा बनाया
उस वक्त सभी सूत्र नाना फडणवीस के हाथ मे थे.नारायनराव पेषवा ने शनिवार वाड़ा के दीवार से कूदकर अपनी जान दे दी थी जब वो सिर्फ 21 साल के थे
रघुनाथ राव को 2 बेटे थे दूसरे बाजिराओ और चिमनाजी रघुनाथराव को पेषवा बनाया, चिमनाजी को नाना फडणवीस ने रघुनाथ राव की पत्नी को गोद लेने को कहा था
नारायण राव के कोई संतान नही थी इसीलिए रघुनाथ राव के बेटे दूसरे बाजीराव को पेषवा बनाया गया
इन्हें भगोड़ा बाजीराव भी कहा जाता है,क्योंकि इन्हें युद्ध के बीच मेही भागने की आदत थी. सत्ता का कोई भी अनुभव इन्हें नही था.
इंग्रेजो के साथ इन्किहि वजह से मराठा 1818 में हार गए थे
अब हम आपको समशेर बहादुर के बारेमे बताते है, वो बाजीराव पेशवा और मस्तानी की संतान थे. पानीपत में इनकी म्र्युतु हुई तब उनके बेटे अली बहादुर सिर्फ 3 साल के थे. उन्होंने आगे जाके बंदा पे राज किया. उन्हें बाँदा के नवाब कहा जाता था
उनके बाद उनके पोते दूसरे अली बहादुर ने 1857 के उठाव में झांसी के रानी की मदद की थी. झांसी की रानी ने उन्हें राखी भेजी थी.