Tuesday, March 19, 2024
HomeHindiTanjavar ka Maratha Samrajya

Tanjavar ka Maratha Samrajya

तंजावर के मराठा घराणे

जब बात तंजावर की होती है तो हमारे मन मे एक ही नाम आता है वोह है एकोजी राजे, जिन्हे व्यंकोजी राजे भोसले भी कहा जाता है। व्यंकोजी भोसले छत्रापति शिवाजी महाराज के सौतेले भाई थे, उनकी माँ का नाम तुकाबाई भोसले था जिन्होंने तमिलनाडु के तंजावर में अपना राज्य बनाया।
‌ऐसा कहा जाता है कि व्यंकोजी राजे भोसले महाराज ने रामायण तमिल भाषा मे लिखा था।‌1675 में आदिलशाह ने व्यंकोजी महाराज को तंजावर पे हमला करने कहा, और व्यंकोजी ने ये आदेश मानकर तंजावुर जीत लिया, आदिलशाह के मरने के बाद व्यंकोजी राजे महाराज ने खुदको तंजावर का राजा घोषित किया। दक्षिण दिग्विजय के वक्त छत्रपति शिवाजी महाराज ने व्यंकोजी महाराज को तंजावुर देके उनसे अच्छे संबंध कायम रखे। ‌तंजावुर का मराठा साम्राज्य 180 साल तक बना रहा और उन 180 सालो में 10 मराठा राजाओं ने शाषण किया ।‌1832 में तीसरे शिवाजी महाराज का शाषण ब्रिटिशो ने रद्द कर दिया, इसीलिए वो तंजावुर के आंखरी मराठा राजा थे। ‌तंजावुर का मराठा साम्राज्य कला और गुणोंसे सम्पूर्ण था, इन मराठा राजाओ ने 50 से अधिक पुस्तक लिखे और उनमें 12 से अधिक नाटक है, इसमेंसे एक मराठी नाटक रंगमंच पे लोगो के सामने लाया गया, और ये पहला मराठी नाटक था। ‌
राजा चोल के बांधे हुए बृहदेश्वर राजराजेश्वर मंदिर की दीवार पे मराठा राजाओ ने मराठा साम्राज्य का सबसे बड़ा मराठी शिलालेख लिखा है ।
‌तंजावुर के सबसे बहादुर और सबसे विद्वान राजा पहले सरफोजी राजा थे, वो खुद आखों के डॉक्टर थे। ‌सरफोजी राजे ने भारत मे उस वक्त सबसे पहला छपाईखाना शुरू किया। कवि परमानंद ने लिखे हुए शिवचरित्र आज भी तंजावुर में है।
‌ ऐसा कहा जाता है कि भारतमे पहली महिला पाठशाला सरफोजी राजे ने शुरू की ‌तंजावुर के मराठा राजाओ ने तंजावुर में मराठी त्योहारों को और रीति रिवाज को बढ़ावा दिया।
‌राजे सरफोजी ने तंजावुर में पुस्तकालय शुरू किया जिसका नाम सरस्वती महल रखा गया। इस सरस्वती महल में वैद्यकीयशास्त्र से लेके,पशु पक्षी,आरोग्य अर्थ, कला,ज्योतिषशास्त्र, बांधकाम शास्त्र ऐसे लगभग 17 विषयोंपर 3लाख से भी ज्यादा पुस्तक है। उनमे 80 हजार हस्तलिखित और 40 हजार संस्कृत हस्तलिखित है ।
‌सरफोजी राजे ने लंदन पेरिस जैसे शहरों में उस वक्त अपना चित्रकार भेजकर उनसे उस वक्त का चित्र बनाने को कहा था वो भी तंजवर में आप देख सकते है। ‌इसमे से एक पुस्तक ऐसा अद्भुत है कि अगर उसको दाए से पढ़े तो वो रामायण बाये से बढ़े तो महाभारत और ऊपर से नीचे पढ़े तपः श्रीमद्भगवतगीता लिखी गयी है।
‌तंजावुर के भोसले संस्थान ने 1962 के भारत चीन युद्ध मे भारत सरकार को मदत के तौर पर 2000 किलो सोना दिया था। 1971 के भारत पाकिस्तान के युद्ध मे भारत सरकार को कुछ शस्त्र दिए थे। ‌विनोबा भावे के भूदान कार्यक्रम में तंजावुर के मराठा राजाओंने 100 एकर जमीन दी थी। आज भी तंजवर में 5 लाख से भी ज्यादा मराठी लोग रहते है। सातारा कोल्हापुर जैसे आज भी तंजावुर में भोसले संस्थान है, आज भी उधर बाबाजी राजे भोसले राजे है जो खुद एक इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर है।

Next article
RELATED ARTICLES

Most Popular